जीवनी/आत्मकथा >> कहानी जवाहरलाल की कहानी जवाहरलाल कीदेसराज गोयल
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नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित एक रोचक पुस्तक
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
"पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं।"
"जोई हाथ पालने छुलावे, सोई आगे राज करावे।"
कौन कैसा बनता है यह बहुत हद तक बचपन तय करता है। इसलिए हर कहानी, हर जीवन-कथा, नायक के जन्म से प्रारम्भ होती है। हमारे नायक जवाहरलाल का जन्म 14 नवम्बर 1889 को हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के जाने-माने वकील थे। अच्छा खाने, अच्छा पहनने, बढ़िया घर में रहने के भी शौकीन थे। उन्हें अपने आप पर बेहद भरोसा और अपनी सफलता पर गर्व था। ....
.....विश्व राजनीति के बारे में भारत की नीति नई थी। आरम्भ में इसे ठीक से समझा नहीं गया। बहुत से सन्देह प्रकट किये गये। विरोध भी हुये। लेकिन जवाहरलाल घबराये नहीं। अपने देशवासियों और अन्य देशों को समझाते रहे। समय लगा परन्तु सबने समझा। संसार में दुःख को कम करने, सुख को बढ़ाने को यही अच्छा मार्ग था। धीरे-धीरे सभी उनकी सराहना करने लगे। भारत का स्वर विश्व की आज़ादी, सहयोग शान्ति और विकास का स्वर बन गया। लोग जवाहरलाल को शान्ति दूत कहने लगे चाहे उनके समर्थक हो या उनके विरोधी, सभी उनको आधुनिक भारत का निर्माता मानते हैं।
"जोई हाथ पालने छुलावे, सोई आगे राज करावे।"
कौन कैसा बनता है यह बहुत हद तक बचपन तय करता है। इसलिए हर कहानी, हर जीवन-कथा, नायक के जन्म से प्रारम्भ होती है। हमारे नायक जवाहरलाल का जन्म 14 नवम्बर 1889 को हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के जाने-माने वकील थे। अच्छा खाने, अच्छा पहनने, बढ़िया घर में रहने के भी शौकीन थे। उन्हें अपने आप पर बेहद भरोसा और अपनी सफलता पर गर्व था। ....
.....विश्व राजनीति के बारे में भारत की नीति नई थी। आरम्भ में इसे ठीक से समझा नहीं गया। बहुत से सन्देह प्रकट किये गये। विरोध भी हुये। लेकिन जवाहरलाल घबराये नहीं। अपने देशवासियों और अन्य देशों को समझाते रहे। समय लगा परन्तु सबने समझा। संसार में दुःख को कम करने, सुख को बढ़ाने को यही अच्छा मार्ग था। धीरे-धीरे सभी उनकी सराहना करने लगे। भारत का स्वर विश्व की आज़ादी, सहयोग शान्ति और विकास का स्वर बन गया। लोग जवाहरलाल को शान्ति दूत कहने लगे चाहे उनके समर्थक हो या उनके विरोधी, सभी उनको आधुनिक भारत का निर्माता मानते हैं।
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